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सोमवार, सितंबर 29, 2014


हिन्दी पखवाड़े का आयोजन 



पूर्ति तथा निपटान निदेशालय, कोलकाता में 8 से 22 सितंबर तक हिन्दी पखवाड़े का आयोजन किया गया। इस दौरान निबंध लेखन, टिप्पण आलेखन, सुलेख, श्रुत लेखन तथा स्लोगन लेखन आदि विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। निबंध का विषय था - च्चतर शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या तथा स्लोगन का विषय था स्वच्छ भारत। प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई। 22 सितंबर को समापन समारोह के अवसर पर पुरस्कार वितरण व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

श्रीमती गीता बिश्वास ने पुष्प गुच्छ द्वारा अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के आरंभ में श्रीमती रत्ना चक्रवर्ती ने कविता आवृत्ति प्रस्तुत की। तत्पश्चात् पुरस्कार वितरण के तहत् विजेता प्रतिभागियों को निदेशक, श्री उमेश चंद्र ने नकद पुरस्कार व प्रमाणपत्र प्रदान कर उनकी हौंसला अफज़ाई की। 

काव्य गोष्ठी में रवि प्रताप सिंह ने कविताओं और ग़ज़लों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ग़ज़लों के साथ-साथ उनकी दबे पाँव कब आ गई जवानी कविता बेहद सराही गई। 

जवानी कब दबे पाँव आती है और कब चुपके से चली जाती है पता ही नहीं चल पाता। इसी अहसास को बयां करती रवि प्रताप सिंह की इस कविता की बानगी कुछ यूं थी




विहसता सवेरा,
सिसकता अंधेरा,
जहाँ स्नेह देखा, दिया डाल डेरा,
आहत हृदय की,
यही है कहानी,
दबे पाँव कब आ गई थी जवानी।
वो छोटी कटोरी,
वो रिश्तों की डोरी
वो भाभी का घूंघट,
वो पनघट की गोरी
कमर पर घड़ा,
और छलकता वो पानी
दबे पाँव कब आ गई थी जवानी।


             


ग़ज़ल 


नूर बन कर बिखर गया होता |
तुम जो मिलते संवर गया होता |
इतनी दुश्वारियां नहीं होतीं,
वक्त हँसकर गुजर गया होता |
एक मुद्दत से दिल पे काबिज है,
दर्द जाने किधर गया होता |
धूप मे कब से चल रहा हूँ मै,
छाँव पाकर ठहर गया होता |

रश्क से चाँदनी सुलग जाती, 
रवि' फलक पर निखर गया होता
|
--   (रवि प्रताप सिंह)


रावेल पुष्प जी ने देश के मौजूदा हालातों का चित्रण करते हुए अपनी चुटीली व्यंग्य रचनाओं से सबका मनोरंजन किया। एक कविता की बानगी देखें - 

ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
पाँव बख्शे हैं तो तौफ़ीके सफर भी देना।
गुफ्तगु तूने सिखाई है ऐ रब ! वर्ना मैं तो गूंगा था
अब मैं बोलूंगा तो बातों में असर भी देना।

-- (रावेल पुष्प)



कार्यक्रम बेहद सराहा गया।  कार्यक्रम का कुशल संचालन नीलम शर्मा 'अंशु' ने किया। शत्रुघ्न दुबे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


कार्यक्रम की झल्कियां

































प्रस्तुति  -  नीलम शर्मा 'अंशु


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