संस्कृति सरोकार के इस मंच पर प्रस्तुत है पाकिस्तान के जानेमाने शायर और लेखक तौकीर चुगताई साहब की दो नज़्में। इससे पूर्व आप उनकी एक कहानी बलात्कार का हिन्दी रुपांतर संस्कृति सेतु पर कहानी श्रृंखला के तहत् पढ़ चुके हैं।
(1)
प्याज़ और जंग
न ऐटम बम न तोपों से
न अमरीका से मंगवाएंगे
जंगी जहाजों से
मसाइल हल करेंगे हम
प्याज़ों से
सफीर अमन बन कर जाएँगे ये प्याज़
अब हर शहर के अंदर
पहुंच जाएँगे देहली
पानीपत, अजमेर के अंदर
यहाँ से जो गए
जब उन को काटेंगे पकाएंगे
वतन को याद करके
रोएँगे आंसू बहाएंगे
भुला कर दुश्मनी सारी
मिलेंगे और यह गाएंगे
चलाएंगे न हम ऐटम
न मिसाइल बनाएंगे
अगर अब लड़ पड़े
तो कब कोई इन्सान जीतेगा
न पाकिस्तान जीतेगा
न हिंदुस्तान जीतेगा
वहाँ यम दूत जीतेगा
यहाँ शैतान जीतेगा ।
2
मुहब्बत के दिसंबर पर
मुहब्बत के दिसंबर पर
अचानक जैसे तपता जून आया है
तुम्हारा ख़त नहीं आया
न कोई फोन आया है
तो क्या तुम खो गए हो ?
अजनबी चेहरों के जंगल में ?
मुसाफिर मिल गिया कोई
किसी मौसम, किसी पल में
यकायक मोड़ कोई आ गया
चाहत की मंजि़ल में ।
अकीदत के सुनहरे फूल चुपके से
किसी ने बाँध डाले आ कर आँचल में
ख्याल-ए-वादा-ए-बर्बाद भी तुम को नहीं आया
तो क्या मैं याद भी तुम को नहीं आया ?
लेखक परिचय
जन्म – 13 मई 1961 (पाकिस्तान)
अनेक पत्रिकाओं का संपादन। डेली एक्प्रेस करांची, ट्रिब्यून (भारत), अजीत (भारत), नवां ज़माना(भारत), साप्ताहिक देस परदेस, मासिक वतन (कनाडा) आदि समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में नियमित कॉलम लेखन। विभिन्न विषयों पर अनेक आलेख तथा साक्षात्कार प्रकाशित। हिन्दी, गुरमुखी, सिंधी, उर्दू, पंजाबी, हिंदको, पोठवारी, अंग्रेजी भाषाओं के जानकार।
महत्वपूर्ण पुस्तके :-
- तुम्हारा ख़त नहीं आया – उर्दू नज्में, फिक्शन हाउस लाहौर, 1997 में।
- वछोड़ा – पंजाबी कविताएं - फिक्शन हाउस लाहौर, 1998 में।
- अखीरला हंजु – पंजाबी कहानियां, चेतना प्रकाशन, लुधियाना, 2001 में ।
इतनी अच्छी नज़्मों को पढवाने के लिए धन्यवाद।
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