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मंगलवार, अप्रैल 08, 2014

"सिर्फ अपने गीतों की सशक्तता की वजह से ही 
वे आज भी लोकप्रिय हैं और लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं।"


कल 7 अप्रैल की शाम शहर में इबादत फांउडेशन द्वारा ‘कविराज शैलेंद्र – रहेंगी अपनी निशानियां’  कार्यक्रम की दिलकश प्रस्तुति की गई।  कविराज शैलेंद्र के सफ़र को मनमोहक अंदाज़ में दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। पता ही नहीं चल पाया कि ढाई घंटे कैसे बीत गए। सुप्रिया जोशी, आनंद बहल, प्रियंका मित्रा, नवीन आनंद, सर्वेश मिश्रा आदि गायकों ने समां बाँध दिया। सर्वेश जब गा रहे थे तो यूं लग रहा था कि मानों रफ़ी साहब गा रहे हों बैकग्राउंड में। कभी ऐसा लगा कि हम आँखें बंद किए रेडियो या सी डी प्लेयर पर रफी साहब को सुन रहे हों। सचमुच, गीत-संगीत की इस निर्झर धारा में सिर्फ़ और सिर्फ़ आनंद ही शामिल था। एक बेहतरीन शाम का नज़राना...... 

इस मौके पर शैलेंद्र साहब के छोटे सुपुत्र श्री दिनेश शंकर शैलेंद्र जी से यह पूछे जाने पर कि आपके बाबा के निधन के इतने बरसों बाद आज क्या आप महसूस करते हैं कि उनका सही आकलन हो पाया है, के जवाब में उन्होंने कहा कि "उनका सही आकलन तो नहीं हो पाया। लोगों ने बहुत कोशिशें कीं उनके नाम को नीचा करने की। लोगों को पद्मश्री और पद्मभूषण मिलते हैं लेकिन उन्हें तो सरकार की तरफ से ऐसा कोई अवॉर्ड नहीं मिला। उनका कोई सपोर्ट नहीं था, वे लॉबी करने वालों में नहीं थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न तो बिहार, जहाँ के हम मूलत:  हैं और न ही उ. प्र. की सरकारों ने उनके लिए कुछ किया। सिर्फ अपने गीतों की सशक्तता की वजह से ही वे आज भी लोकप्रिय हैं और लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं।"




                                                                                                                                                                                               

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