नव वर्ष की शुभकामनाएं
कुछ ऐसे अंदाज़ में भी......
जैसे सोच की कंघी से
एक दंदा टूट गया
जैसे समझ के कुर्ते का
एक चीथड़ा उड़ गया
जैसे आस्था की आँखों में
एक तिनका चुभ गया
नींद ने जैसे अपने हाथों में
सपने का जलता कोयला पकड़ लिया
नया साल कुछ ऐसे आया...
जैसे दिल के फ़िक़रे से
एक अक्षर बुझ गया
जैसे विश्वास के काग़ज़ पर
स्याही गिर गई
जैसे समय के होंठों से
एक गहरी साँस निकल गई
और आदमज़ात की आँखों में
जैसे एक आँसू भर आया
नया साल कुछ ऐसे आया...
जैसे इश्क़ की ज़बां पर
एक छाला उठ आया
सभ्यता की बाँहों में से
एक चूड़ी टूट गई
इतिहास की अंगूठी से
एक नीलम गिर गया
और जैसे धरती ने आसमां का
एक बड़ा उदास सा ख़त पढ़ा
नया साल कुछ ऐसे आया...
बीता साल कुछ ऐसा था।
नए साल में कंघी भी नई होगी
आस्था भी पक्की होगी
और नींद भी शीतल बयार सी
कम से कम मेरी यही कामना है ।
- चंदन स्वप्निल
संक्षिप्त परिचय - अख़बारी दुनिया से सरोकार। संप्रति - उप समाचार संपादक, दैनिक भास्कर।
- Chandanswapnil.blogspot.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें