15 जुलाई 1925 को कलकत्ते के मानिकतल्ला में जन्में प्रख्यात नाटककार व नाट्य निर्देशक बादल सरकार का कल (13 मई 2011) को निधन हो गया। इन दिनों वे वृद्धावस्था की बीमारियों तथा आग्नेश्य कैंसर से पीड़ित थे। नाटकों को प्रेक्षागृह से निकाल कर खुला मंच प्रदान करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्हें ‘थर्ड थियेटर’ का जनक कहा जाता है। एवम् इंद्रजीत, पगला घोड़ा, बासी खाबार, बल्लभपुरेर रूपकथा उनके लोकप्रिय व चर्चित नाटकों में हैं।
उन्हें 1968 में संगीत नाटक अकदामी पुरस्कार तथा 1972 में भारत सरकार द्वारा पदमश्री से नवाज़ा गया था। नाट्य जगत में विजय तेन्दुलकर का मराठी, मोहन राकेश का हिन्दी, गिरीश कर्नाड का कन्नड के लिए जो अवदान रहा है वैसा ही गौरव बादल सरकार को भी हासिल रहा है। अपनी सर्जनात्मकता से उन्होंने बांगला नाट्य जगत को जहां समृद्ध किया वहीं राष्ट्रीय स्तर पर इसे गौरवान्वित किया।
संस्कृति सरोकार परिवार की उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
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