मंचासीन विभूतियां |
8 दिसंबर, 2012 शनिवार की शाम बड़ाबाज़ार लाइब्रेरी द्वारा आ. विष्णुकांत शास्त्री समृति सभागार में एक अंतरंग काव्य व यात्रा संस्मरण गोष्ठी का आयोजन किया गया। आरंभ में पुस्तकालय के मंत्री अशोक गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. गिरिधर राय रचित सरस्वति वंदना को नंदलाल रौशन ने तरन्नुम में पेश किया। सुमन जी, काली प्रसाद जायसवाल, आकाश जायसवाल, डॉ. गिरिधर राय आदि ने अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत कीं वहीं, नंदलाल रौशन ने ग़ज़ल प्रस्तुत की।
सत्य प्रकाश दुबे, जुगल किशोर जैथलिया, जय कुमार रुसवा, डॉ. शंकर तिवारी, विकास झा आदि ने अपने यात्रा संबंधी संस्मरण श्रोताओं से सांझा किए। विमल लाठ जी ने दंतेवाड़ा यात्रा संस्मरण तथा नीलम शर्मा 'अंशु' ने पार्श्व गायक मुहम्मद रफ़ी साहब के पुश्तैनी गांव के सफ़र से संबंधित अपना संस्मरण सुनाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता की, श्री विमल लाठ जी ने और मुख्य अतिथि थे जुगल किशोर जैथलिया जी। पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर प्रसाद अग्रवाल जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन किया डॉ. गिरिधर राय ने। अनेक लब्ध प्रतिष्ठित साहित्य प्रेमियों ने इस विलक्षण सांस्कृतिक शाम का रसास्वादन किया।
इस पुस्तकालय की स्थापना 112 वर्ष पूर्व पं. केश्व प्रसाद जी ने की थी। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, महाकवि निराला, उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जैसी विभूतियों की पगधूलि इस पुस्तकालय को प्राप्त हुई।
इस पुस्तकालय की स्थापना 112 वर्ष पूर्व पं. केश्व प्रसाद जी ने की थी। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, महाकवि निराला, उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जैसी विभूतियों की पगधूलि इस पुस्तकालय को प्राप्त हुई।
नंदलाल रौशनु सरस्वति वंदना व ग़ज़ल प्रस्तुति। |
ऱफ़ी साहब के पुश्तैनी गांव के सफर से संबंधित यात्रा संस्मरण का वाचन नीलम शर्मा 'अंशु'। |
रेल यात्रा संस्मरण की प्रस्तुति - श्री जुगल किशोर जैथलिया। |
दंतेवाड़ा यात्रा संस्मरण की प्रस्तुति - श्री विमल लाठ। |
प्रस्तुति व कैमरा क्लिक - नीलम शर्मा 'अंशु'
)( )(
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें