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शनिवार, सितंबर 29, 2012

भारतीय खाद्य निगम, कोलकाता का हिन्दी समारोह व कवि सम्मेलन।


बाँए से सुश्री मंजु बैद्य इशरत, सुश्री नीलम शर्मा अंशु, श्री रवि प्रताप सिंह।


भारतीय खाद्य निगम, आंचलिक कार्यालय, कोलकाता द्वारा 14 सितंबर से 28 सितंबर, 2012 तक हिन्दी पखवाड़े का आयोजन किया गया। 28 सितंबर को समापन समारोह के अवसर पर पुरस्कार वितरण तथा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवियत्री, अनुवादक, रेडियो जॉकी व राजभाषाधिकारी नीलम शर्मा अंशु बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थीं। कार्यक्रम के आरंभ में  अतिथियों का पुष्प स्तवक व उत्तरीय भेंट कर स्वागत-सम्मान किया विभाग के उच्चाधिकारियों ने। स्वागत भाषण दिया टी. आर. आर्य, सहायक महा प्रबंधक (रा. भा.) ने।

काव्य गोष्ठी के आरंभ में सुश्री मंजु बैद्य इशरत ने तरन्नुम में अपनी गजलों और गीत की प्रस्तुति व अपनी मधुर आवाज़ से श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया। कविता किन परिस्थितियों में कवि हृदय से निकल कैसे शब्दों में आकार लेती है इसे तब कोई कविता बनती है, के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति द्वारा और देश में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों पर अपनी ओजात्मक प्रस्तुतियों द्वारा करारा प्रहार किया रवि प्रताप सिंह ने। डॉ. गिरधर राय ने अपनी हास्य-व्यंग्यात्मक रचनाओं से श्रोताओं के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी।

      हिन्दी देश की वह भाषा है जिसे देश की अधिकतर जनता समझती, बोलती और प्रयोग में लाती है। इसीलिए इसे राष्ट्रभाषा और राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। अगर हमें आम जनता से जुड़ना है तो उसकी भाषा को अपनाना होगा। वैश्वीकरण के इस दौर में गैरसरकारी तथा निजी संस्थानों ने इस बात को भली-भांति समझ लिया है। अपने उत्पादों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए वे हिन्दी, हिट फिल्मी गीतों और संवादों का सहारा लेते हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि होने के नाते हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, अत: राजभाषा को आम बोलचाल की भाषा बनाते हुए सहज, सरल और बोधगम्य शब्दों का प्रयोग किया जाए।  भाषा किसी भी देश, जाति व संस्कृति की वाहक और पहचान का अहम् हिस्सा होती है। संस्कृति तभी ज़िंदा रह सकती है जब उसकी भाषा निरंतर प्रगति पथ पर बढ़ती रहे। ये बातें नीलम शर्मा अंशु ने बतौर मुख्य अतिथि अपने वक्तव्य में कहीं।

भा. खा. निगम के प्रबंधक (रा. भा.) अब्दुर्रब ने भी क्लिष्ट हिन्दी के बजाय हिन्दुस्तानी में सरकारी काम-काज करने पर ज़ोर दिया। साथ ही साल में सिर्फ़ पखवाड़े तक सीमित न रह कर साल भर हिन्दी में काम करने की बात कही। अनिंद्य बैनर्जी, महा प्रबंधक (सतर्कता), एम मलैया, महा प्रबंधक (सामान्यः) ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। अन्य उच्चाधाकारियों सहित विभागीय कर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित कर प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम की सफलता में श्रीमती रीना पंत, महा प्रबंधक की सक्रिय व सराहनीय भूमिका रही। 



मुख्य  अतिथि का संबोधन।

कविता पाठ - रवि प्रताप सिंह।


मंजु बैद्य इशरत की प्रस्तुति।

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