गोर्की सदन में अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल पर संगोष्ठी का आयोजन।
कोलकाता 24 जून . "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए क़ातिल में है।" ये चर्चित पंक्तियां हैं हमारे देश के अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की जो एक महान शायर भी थे और चर्चित काकोरी कांड के मुख्य नायक भी। देश को आज़ाद करवाने के जज्बे में रामप्रसाद बिस्मिल और उसके सहयोगियों ने मिलकर काकोरी ट्रेन डकैती कर सरकारी खजाने को लूटा था, जिसके परिणाम स्वरूप तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने उन पर मुकदमा चलाकर 19 दिसंबर 1927 को फांसी दे दी थी। उन्होंने वीर रस से ओतप्रोत अनेक कविताएँ लिखी थीं,जिसने स्वाधीनता सेनानियों में जोश भरा था।
आजादी के 70 साल कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत इसकी पांचवीं कड़ी के रूप में कोलकाता की पंजाबी साहित्य सभा तथा वाक् के संयुक्त तत्वावधान में रूस के विज्ञान और संस्कृति केंद्र गोर्की सदन में राम प्रसाद बिस्मिल पर एक संगोष्ठी डॉक्टर जसबीर चावला की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित थे - प्रलेस की बंगाल इकाई के महासचिव जितेंद्र धीर और अन्य वक्ताओं में थे गोर्की सदन के जनसंपर्क अधिकारी गौतम घोष, डॉ. सेराज खान बातिश तथा रावेल पुष्प । इस मौके पर आकाशवाणी दिल्ली एफ़ एम. रेनबो इंडिया चैनल की कार्यक्रम प्रस्तोता (आर. जे.) तथा प्रमुख अनुवादिका नीलम शर्मा 'अंशु' ने ऑडियो क्लिप भेजकर बिस्मिल के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आकाशवाणी राँची के पूर्व निदेशक तथा शायर कुमार बृजेंद्र की अध्यक्षता तथा रावेल पुष्प के संचालन में एक कवि गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें - सर्वश्री डॉक्टर सेराज खान बातिश, डॉक्टर करुणा पांडे, जीतेंद्र जीतांशु, भूपेंद्र सिंह बशर, नवीन कुमार, जितेंद्र धीर, डॉ. जसवीर चावला, डॉ. शाहिद फ़रोगी, रावेल पुष्प, लक्ष्मी जायसवाल, विमल शर्मा, दिनेश प्रसाद दिनेश, सागर चौधरी, जगमोहन सिंह गिल, अशोक पागल, संदीप खनूजा तथा अन्य ने महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की।
गोर्की सदन में देश के स्वाधीनता सेनानियों को स्मरण करते हुए इस तरह के आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के प्रति नगर के श्रोताओं में खासी रुचि जागृत हुई है।
प्रमुख अख़बारों में कवरेज।
जनसत्ता। |
रिपोर्ट व तस्वीरें श्री रावेल पुष्प (पत्रकार - साहित्यकार) के सौजन्य से।
प्रस्तुति - नीलम शर्मा 'अंशु'।
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