तीस जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है।
इस अवसर पर प्रस्तुत है यह कविता.....
बापू के बंदर
तीन बंदर,
तीन बातें
बापू की -
मिटने दो सिंदूर,
टूटने दो चूड़ियां,
- बस बुरा मत देखो।
चलने दो गोली,
होने दो चीत्कार,
बच्चों के सीत्कार,
- बस बुरा मत सुनो ।
तुम्हें क्या ?
कोई कुछ कहे
कहीं मरे - कोई मारे
चुप - एक चुप
सौ सुख
बुरा मत कहो
बापू ने कहा था ।
तुम्हें जीना है न ?
चुप्पी साध
मूंद लो
रुई डाल लो
कानों में ।
होने दो
जो होता है
तुम्हें क्या
मत सुनो
मत देखो
मत कहो ।
० के. प्रमोद
प्रस्तुति - संस्कृति सरोकार परिवार
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