सुस्वागतम् - जी आयां नूं

"संस्कृति सरोकार" पर पधारने हेतु आपका आभार। आपकी उपस्थिति हमारा उत्साहवर्धन करती है, कृपया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी अवश्य दर्ज़ करें। -- नीलम शर्मा 'अंशु'

गुरुवार, जनवरी 28, 2010

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि





तीस जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। 
इस अवसर पर प्रस्तुत है यह कविता.....

बापू के बंदर




तीन बंदर,
तीन बातें
बापू की -
मिटने दो सिंदूर,
टूटने दो चूड़ियां,
- बस बुरा मत देखो।
चलने दो गोली,
होने दो चीत्कार,
बच्चों के सीत्कार,
- बस बुरा मत सुनो ।
तुम्हें क्या ?
कोई कुछ कहे
कहीं मरे - कोई मारे
चुप - एक चुप
सौ सुख
बुरा मत कहो
बापू ने कहा था ।
तुम्हें जीना है न ?
चुप्पी साध
मूंद लो
रुई डाल लो
कानों में ।
होने दो
जो होता है
तुम्हें क्या
मत सुनो
मत देखो
मत कहो ।


० के.  प्रमोद




प्रस्तुति - संस्कृति सरोकार परिवार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें