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बुधवार, मार्च 07, 2012

बरसुआ लौह खदान में हास्य कवि सम्मेलन।

- वीरानों के साथ ज़िंदगी मेरी  तरह बसर करिए -

सेल के अधिकारियों के साथ कविगण

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमटेड, रॉ मैटिरियल्स डिवीजन कोलकाता के सहयोग से  बरसुआ लौह खदान (उड़ीसा) ने अपने इस्पात हाई स्कूल के विशाल मैदान में होली के उपलक्ष्य में पहली बार अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया। 

दीप प्रज्जवलित करते महाप्रबंधक एच. बारा
कार्यक्रम का शुभारंभ बरसुआ लौह खदान के महाप्रबंधक श्री एच. बारा द्वारा दीप प्रज्जवलन से हुआ। सेल के अधिकारी जे. पी. मिश्रा ने कवियों का स्वागत किया।


सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते अजय शंकर मिश्र



रावेल पुष्प के काव्यमयी संचालन में हुए इस कवि सम्मेलन की शुरूआत 
सेल के ही अजय शंकर मिश्र की 
सरस्वती वंदना से हुई।

रचना पाठ करते डॉ. मधुसूदन साहा



देश के प्रमुख नवगीतकार एवं ओड़िया साहित्य से अनेक रचनाओं के अनुवादक  
डॉ. मधसुदन साहा ने जीवन के विविध रंगों 
पर कई बेजोड़ मुक्तक सुनाए।




ओजपूर्ण रचनाएं पढ़ते रवि प्रताप सिंह
      

वहीं गीतों और ग़ज़लों के समर्थ युवा कवि 
रवि प्रताप सिंह ने अपने ओजपूर्ण गीतों 
से समां बांधा - 
सन्नाटे भी बोल उठेंगे, 
दिल से बात अगर करिए
वीरानों के साथ ज़िंदगी मेरे साथ बसर करिए ।



हास्य-व्यंग्य से सराबोर करते उपेन्द्र मिश्र
देर रात तक चले कवि सम्मेलन में जहां
मंचीय  नोंक-झोंक पर श्रोता मुस्कुराते रहे 
वहीं उपेन्द्र मिश्र की हास्य-व्यंग्यात्मक
रचनाओं पर ठहाके भी लगे - 

होली के रंगों का कहर हमें युं उठाना पड़ा है
अपना बच्चा ढूंढने के लिए
 हमें पांच बच्चों को नहलाना पड़ा है।



गीतकार नवीन प्रजापति ने जहां तरन्नुम में अपने गीतों से श्रोताओं को प्रेम की रसधार में भिगोया  वहीं व्यंग्यकार रावेल पुष्प ने आज की राजनीति और सत्ता पर काबिज भ्रष्ट नेताओं पर करारा व्यंग्य किया -         
रचना प्रस्तुति - रावेल पुष्प

वहां एक से बढ़कर एक
उम्दा कोटि के जल्लाद हैं
जो नित नए भेस बदलकर आते हैं
और जनता की उम्मीदों को
  हर रोज सरेआम फांसी पर चढ़ाते हैं।

स्थानीय कवि बड़ाराम कटारिया के काव्य पाठ से समापन हुआ। 


कोलकाता सेल के हिन्दी अधिकारी कैलाश नाथ यादव की पहल एवं लौह खदानों के मुख्य कार्यपालक निदेशक मानवेन्द्र नाथ राय के मार्गदर्शन में हुए इस यादगार कवि सम्मेलन के श्रोताओं ने होली के मौके पर सेल द्वारा दिया अनमोल तोहफा करार दिया। 

राउरकेला(उड़ीसा) से पहाड़ों के बीच मीलों पथरीले रास्ते एवं घने जंगल के बीच स्थित खदान में आयोजित इस कार्यक्रम की सफलता में  राजेश निगम, टी. के. घोष, मानवेन्द्र मिश्र, बुलु दिग्गल की सक्रिय भागीदारी रही।


कवियों का सम्मान




प्रकृति के सान्निध्य में कविगण।


आलेखन - रावेल पुष्प, छायांकन - 
बुलु दिग्गल

साज-सज्जा व प्रस्तुति - नीलम शर्मा 'अंशु"

















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