बंगीय हिन्दी परिषद की मासिक कवि-कल्प की गोष्ठी में 2 मार्च की शाम युवा कवि व शायर रवि प्रताप सिंह के एकल काव्य पाठ का आयोजन किया गया। आरंभ में परिषद के संयोजक विमलेश त्रिपाठी ने विशिष्ट आमंत्रित कवि का स्वागत किया तथा संक्षेप में परिषद की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात् जीवन सिंह द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के गायन के साथ गोष्ठी की शुरूआत हुई। सर्वप्रथम रवि प्रताव सिंह ने संक्षेप में अपनी रचना-प्रकिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रचना अपने आप ही कविता, गीत या ग़ज़ल के साँचे में ढल कर कागज़ पर उतर आती है। उन्होंने कविता, गीत और ग़ज़ल इन तीन विधाओं में अपनी प्रतिनिधि रचनाओं की प्रस्तुति द्वारा उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कविताओं में माँ की घुट्टी, कृत्रिमता, मुस्कराहट, शब्दों का मकड़जाल, साल भार का मौसम, गीतों में उड़ते बादल जैसे सपने, चंद्रकिरण की तरुणाई उल्लेखनीय रहे। साथ ही उन्होंने कुछ गज़लें भी प्रस्तुत कीं। वरिष्ठ कवि कालीप्रसाद जायसवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे पटना के वरिष्ठ पत्रकार व संपादक मुहम्मद याहया ज़की। गीतकार योगेन्द्र शुक्ल सुमन, नीलम शर्मा ‘अंशु’, जीवन सिंह, आरती सिंह, जय प्रकाश साव, रेणु सिंह, प्रदीप कुमार धानुक, शिव शंकर सिंह, दिनेश कुमार मित्तल, शुभम सिंह आदि सहित अन्य साहित्य प्रेमी भी उपस्थित थे। अंत में रंजीत संकल्प ने परिषद की तरफ से विशेष आमंत्रित कवि व अन्य सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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